अनसुलझे, अछूत समांतर सोच
इंसान या कहे आप और हम जब तक जीते है। तब तक हम सिर्फ अपनी सोच की वजह से जीते है। और हमारी सोच ही हमारी जीवन है। जो भी समाज में चीज है। वो सिर्फ एक सोच है परिवार के साथ रहना या परिवार को छोड़ देना, बुरी आदते रखना या उससे छोड़ देना ये सब एक सोच से जुड़ा है।
जब हम अपनी सोच को छोड़ देता है। तो हम उसे के साथ अपने जीवन को छोड़ देते है। इस दुनिया में आप कुछ भी चीज ना ही ही पैदा कर सकते हो और ना ही तबाह कर सकते हो आप, या यू कहे हम बस उस चीज को इखट्टा करके उससे कुछ अलग बना सकते है। और हम उससे तबाह नही कर सकते उससे छोड़ सकते है। पर कुछ यह कहेंगे की अगर किसी ने कागज बनाया और किसी दूसरे ने उससे जला दिया तो जिसने जलाया उसने तो उससे तबाह(खतम) कर ही दिया। हां, यह सही है।उसने उससे तबाह कर दिया। दरअसल यहा सिर्फ उसे जलने से ढांचा बदला या (बिगाड़ा) है। कहने का मतलब की यह बस उसने उससे जला के उसके हुलिया बदला है। तबाह नही किया ।
प्रकृति के नियमों को हम कितना जानते हैं। या जान रहे है। उससे ये चीज तो स्पष्ट हो जाती है। की प्रकृति में आप कुछ चीज पैदा और तबाह नही कर सकते बस उसका हुलिया और स्थान बदल सकते है।
यह बाद समझाने का बस यह मकसद था। की आप यह बात और जो बात पीछे बताई उस जोड़ के और अच्छे से समझ सके।
जिस तरह/प्रकार हम कुछ चीज को पैदा नहीं कर सकते उसी प्रकार हम किसी भी सोच को पैदा नहीं कर सकते हम बस अपनी सोच को आकार दे सकते है। या बना सकते है। और सब चीज की जड़ हमारी सोच है। और हमारी चीज चयन की दृष्टि का है।
इससे कुछ उदहारण से समझते है।
अगर एक व्यक्ति की सोच है। की नशा करना एक अच्छी चीज है। और वो इस सोच को बहुत मानता है। तो उसकी जो दूसरी सोच है। जैसे परिवार,लोग,समाज अच्छे है। या कहे ये सब जीवन के महत्वपूर्ण है। इस सोच को नशे वाली सोच प्रभावित करेगी और हो सकता है। वो सोच परिवार,लोग,समाज से जुड़े dhago को खोल दे और वो नशे में एक दिन मर जाए। पर सोच तब भी रहेगी।
अगर उससे कोई प्रभावित होगा तो वो सोच आगे चली जायेगी और अगर सोच को बहुत दबाया गया तो वो किसी और चीज का रूप ले लेगी। रूप मतलब किसी नए सोच का रूप!
पर लेकिन सोच तब भी जिंदा रहेगी चाहे फिर उसका रूप बदल जाए।
-कबीर भारती
विषय: सामान्य विषय
Nice nice
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